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Daily Devotion - Aug 18, 2025 (Hindi) - जब पृथ्वी रोई : श्रीकृष्ण अवतरण की कथा
By Kripalu Bhaktiyoga Tattvadarshan profile image Kripalu Bhaktiyoga Tattvadarshan

Daily Devotion - Aug 18, 2025 (Hindi) - जब पृथ्वी रोई : श्रीकृष्ण अवतरण की कथा

कृष्णावतार के पूर्व का वृत्तांत - एक प्रजापति हैं - वृष्णि और सुतपा। उन्होंने देवताओं के बारह हज़ार वर्ष तक तप किया। देवताओं की छह मही

कृष्णावतार के पूर्व का वृत्तांत -
एक प्रजापति हैं - वृष्णि और सुतपा। उन्होंने देवताओं के बारह हज़ार वर्ष तक तप किया। देवताओं की छह महीने की रात होती है और छह महीने का दिन होता है। हमारे चौबीस घंटे और देवताओं के चौबीस घंटे में एक साल का अंतर होता है। हमारे 360 दिन का उनका एक दिन होता है। इस हिसाब से देवताओं के एक हज़ार वर्ष हम लोगों का 3, 60,000 वर्ष होता है। 12000 देव वर्ष हमारा 43,20,000 हुए - इतने समय तक दोनों ने तप किया। तो भगवान् प्रकट हुए और उनसे कहे "वर माँगो।"

तो उन्होंने कहा, "हम तुम्हारे समान पुत्र चाहते हैं।" भगवान् चुप हो गए और सोचने लगे, "मेरे समान पुत्र कहाँ से लाऊँ?"
भगवान् तो एक हैं - न तत्-समाश्चाभ्यधिकश्च दृश्यते।
न भगवान् के बराबर कोई है, न बड़ा है। सब उनके दास हैं।
तो दोनों ने फिर दो बार और कहा कि, "हम तुम्हारे समान पुत्र चाहते हैं।"
तो भगवान् ने कहा, "ठीक है, जाओ, दिया वर।"
फिर उन्होंने सोचा कि "इन लोगों ने तीन बार वर माँगा है। तो मैं तीन बार अवतार लेकर इनका पुत्र बनूँगा।"
तीन बार में आखिरी बार ये वसुदेव और देवकी बने। उस समय ब्रज में बड़े-बड़े राक्षस राजा बन गए। और ब्राह्मणों को कष्ट देने लगे, यज्ञादिक न होने दिया और भगवद्विषय को बंद कर दिया।
तो पृथ्वी ब्रह्मा के पास जाकर रोई - "आप तो सृष्टिकर्ता हैं, सबके पितामह हैं। इतना अन्याय हो रहा है, इसके लिए कुछ सोचिए।"
तो ब्रह्मा ने शंकर जी, इन्द्रादि के साथ भगवान् के पास क्षीरसागर गए और सब समाधि में होकर प्रार्थना करने लगे।
तो ब्रह्मा की समाधि में ही आकाशवाणी हुई, कि मैं वसुदेव का पुत्र बनूँगा। उस समय

भूमे: सुरेतरवरूथविमर्दिताया: क्लेशव्ययाय कलया सितकृष्णकेश:।
समाधि में ब्रह्मा ने देखा कि भगवान् ने सिर से दो बाल उखाड़कर दिखाया - एक काला और एक सफ़ेद - और इशारा कर दिया कि - हम कृष्ण (काले) और बलराम (गौर वर्ण) - ये दो अवतार लेकर आएँगे और पृथ्वी का भार उठाएँगे।

अब प्रश्न ये है कि "भगवान् के बाल भी सफ़ेद होते हैं क्या?"
जब स्वर्ग के देवता ही बूढ़े नहीं होते तो भगवान् बूढ़े कैसे हो गए? उनका तो चिदानंदमय देह है। उनकी प्रत्येक चीज़ सच्चिदानंद हैं।
तो सफ़ेद बाल कैसे ? तो केश माने कुछ और होगा -
अंशवो ये प्रकाशन्ते मम ते केश संज्ञिताः।

भगवान् के दो प्रकार के लाइट हैं - एक श्वेत और एक कृष्ण - ये दो भगवान् के 'अंशु' यानी तेज हैं।

एक सित और एक कृष्ण - सफ़ेद और काली - ये मेरी दो शक्तियाँ अवतीर्ण होंगी। बलराम भी भगवान् और श्रीकृष्ण भी भगवान् हैं।
जब वेदव्यास ने अवतारों को गिनाया तो अठारहवाँ अवतार के बाद उन्नीसवाँ अवतार बलराम का था और बीसवाँ अवतार श्रीकृष्ण का था। ये दोनों भगवान् हैं।
बाकी अवतार इनके अंश हैं।
एते चांशकला: पुंस: कृष्णस्तु भगवान स्वयम्।
श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् हैं और इन्हीं के अंश हैं बाकी सब।
तो सित कृष्ण - सफ़ेद काले माने भगवान् की दो बड़ी बड़ी शक्तियाँ राम कृष्ण के रूप में अवतरित होंगी - ये भावार्थ है - बाल नहीं। बाल तो देवताओं के ही सफ़ेद नहीं होतीं। भगवान् तो गोलोक में सदा किशोरावस्था में रहते हैं।
और हमारे मृत्यु लोक में - बाल्य, पौगण्ड, फिर किशोर अवस्था, बस - यानी पैदा होने से लेकर सोलह वर्ष तक बढ़ते हैं। फिर चाहे वे सौ वर्ष तक रहें, वे उसी आयु में रहेंगे क्योंकि उनका देह मायिक नहीं है; पंचमहाभूत का नहीं है।
अतएव सितकृष्ण केश: का अर्थ है, भगवान् दो शक्तियों से युक्त होकर अवतार लेंगे - यह रहस्य है।

इस विषय से संबंधित जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की अनुशंसित पुस्तकें

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