- खाली समय में श्वास-श्वास से, बिना माला के, राधे नाम का जाप करो।
- निरर्थक न बोलो। कम बोलो, मीठा बोलो। कम लोगों से दोस्ती रखो, कम लोगों से मिलो।
- संयम के साथ वाणी का प्रयोग करो। भक्त बनना है तो किसी का अपमान न करो। कड़क न बोलो। उसे दुखी न करो। अपमान सहने की शक्ति बढ़ाओ। सहनशीलता और दीनता बढ़ाओ। इससे साधना की पूँजी बची रहेगी।
- अपने में दोष देखो। दूसरे में दोष न देखो। दूसरे में दुर्भावना करने से वो मन में आ जाएगा। इससे मन और गंदा हो जाएगा। एक ही मन है - उसी में भगवान् और गुरु को लाना है। जितना समय मिले मन में हरि-गुरु को ही लाओ तो शुद्धि होती जाए।
- काम क्रोध लोभ मोह से बचकर रहो। इनकी शुरुआत में ही सावधान होकर इनको दबाना सीखो। इसी से भगवान् और गुरु की कृपा मिलेगी।
- टाइम का सदुपयोग करो। जो भी समय मिले साधना में लगाओ। ये ज़रूरी नहीं कि भगवान् की मूर्ति के आगे बैठकर ही साधना करो। मन ही मन में भगवान् के नाम का जाप करना भी साधना ही है।
- अपना नुकसान न हो - जो कमाया है उसे बचाओ। न प्लस करे तो माइनस तो न हो।
- घर में एक व्यक्ति बोले तो दूसरा चुप हो जाओ। तो कुछ देर बोलकर जब वो शांत हो जाएगा तो फील करेगा। इससे बात आगे नहीं बढ़ेगी। सब में प्यार का व्यवहार रखो।
- गलती से गड़बड़ हो जाए तो फील करो और सुधार करो।
- मानव देह अमूल्य है। पता नहीं कल का दिन मिले न मिले। राग द्वेष में इस देह को समाप्त न करो। लापरवाही न करो।
सवेरे उठकर दो मिनट सोचो - हमें सावधान रहना है। और रात को सोते समय सोचो आज हमने कहाँ गड़बड़ किया। जहाँ गड़बड़ी हुई उसको सुधारो। अभ्यास में जुट जाओ।
इसका सही अभ्यास करने से एक महीने में ही मन में सुख और शांति होगी।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की कुछ पुस्तकें जो साधना में आने वाली बाधाओं से आपकी रक्षा करेंगी :
साधक सावधानी - हिंदी
सवेरे उठकर दो मिनट सोचो - हमें सावधान रहना है। और रात को सोते समय सोचो आज हमने कहाँ गड़बड़ किया। जहाँ गड़बड़ी हुई उसको सुधारो। अभ्यास में जुट जाओ।
इसका सही अभ्यास करने से एक महीने में ही मन में सुख और शांति होगी।
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