परदोष और निज गुण -
दूसरे में दोष और अपने में गुण - इन दो चीज़ों का चिंतन न करो।
दूसरे में दोष देखने से 2 हानि होगी -
- वह दोष मन में आएगा और, मन को और गन्दा करेगा। दूसरे का दोष तो जाएगा नहीं, तुम और दोषी हो जाओगे।
- अपने में अहंकार आयेगा। अहंकार ही हमें 84 लाख में घुमा रहा है।
अपने में गुण देखोगे तो अपने दान करने का, साधना करने आदि का अहंकार आ जायेगा। अपने में दोष नहीं दिखाई देगा। इसलिये दोष जायेगा नहीं। परमार्थ का जो भी काम करो, तो यह समझो कि भगवान् और गुरु की कृपा ने करा दिया।
यह याद कर लो - जब तक माया का अधिकार है, सब में माया के सब अवगुण है। किसी ने हमारा कोई अवगुण बताया तो बुरा क्यों लगा? अपने अंदर जो अवगुण हैं उसको ठीक करना है। अपने को देह मानने वाला मूर्ख है। शौक पैदा करो कि कोई हमें मूर्ख कहे और हम हँसते रहें।
यह कृपालु का सिद्धांत रटे रहो -
- तुम आत्मा हो,
- अनंत जन्म के पापात्मा हो, और
- जितनी देर भगवान् में मन लगाते हो बस उतनी देर समझदार हो। बाकी टाइम मूर्ख हो।
हर समय होशियार रहो। हमें अच्छा बनने का प्रयत्न करना है, अच्छा कहलवाने का नहीं। आँसू बहाओ, बुद्धि को धिक्कारो और उसके पीछे लग जाओ कि दोबारा गलती न हो।
इस विषय से संबंधित जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की अनुशंसित पुस्तकें:
Atma Nirikshan - Hindi
Atma Nirikshan - Hindi Ebook
परदोष और निज गुण -
दूसरे में दोष और अपने में गुण - इन दो चीज़ों का चिंतन न करो।
दूसरे में दोष देखने से 2 हानि होगी -
अपने में गुण देखोगे तो अपने दान करने का, साधना करने आदि का अहंकार आ जायेगा। अपने में दोष नहीं दिखाई देगा। इसलिये दोष जायेगा नहीं। परमार्थ का जो भी काम करो, तो यह समझो कि भगवान् और गुरु की कृपा ने करा दिया।
यह याद कर लो - जब तक माया का अधिकार है, सब में माया के सब अवगुण है। किसी ने हमारा कोई अवगुण बताया तो बुरा क्यों लगा? अपने अंदर जो अवगुण हैं उसको ठीक करना है। अपने को देह मानने वाला मूर्ख है। शौक पैदा करो कि कोई हमें मूर्ख कहे और हम हँसते रहें।
यह कृपालु का सिद्धांत रटे रहो -
हर समय होशियार रहो। हमें अच्छा बनने का प्रयत्न करना है, अच्छा कहलवाने का नहीं। आँसू बहाओ, बुद्धि को धिक्कारो और उसके पीछे लग जाओ कि दोबारा गलती न हो।
इस विषय से संबंधित जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की अनुशंसित पुस्तकें:
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