भगवान् सबके हृदय में रहते हैं - इसका अभ्यास करो
उपदेश तो हम बहुत सुने और जानते भी हैं, लेकिन प्रैक्टिकल में अमल लाने के लिए अभ्यास करना आवश्यक है। सम्मलेन (साधना शिविर) इसलिये होता है कि जो कुछ हमें इसमें मिला, उसको आगे बढ़ाना है। अगर हम हमेशा वहीं के वहीं रह गए, तो ऐसे तो ये मानव देह समाप्त हो जायेगा।
ये हमारा निवेदन है कि आप लोग एक छोटा सा आदेश मानकर रोज़ अभ्यास करें -
- जैसे वेदों शास्त्रों, संतों ने कहा है, भगवान् सबके हृदय में रहते हैं, यह 'सदा' जानते रहने का हमें अभ्यास करना चाहिये। जैसे 'मैं' को सदा रियलाइज़ करते हो, उसी तरह 'मेरा' वो अंदर बैठा है, उसकी फीलिंग भी एक साथ होनी चाहिये। हर आधे घंटे में एक सेकंड को फील करो कि भगवान् हमारे अंदर बैठे हैं। इससे पाप करने से बचोगे। और इसी प्रकार अभ्यास करते-करते नेचुरल होने लग जायेगा - फिर जैसे 'मैं' को रियलाइज़ करते हैं, वैसे भगवान् को भी रियलाइज़ करोगे। ये अभ्यास से ही होगा। अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते - अभ्यास से सब कुछ हो जाता है।
- साथ साथ स्वयं का आत्मनिरीक्षण करो। सहनशीलता कितनी बढ़ी, अहंकार कितना कम हुआ आदि पैमाना हैं। छोटी-छोटी बातों पर फील करना, क्रोध करना, दूसरों को दुखी करना, ये सब हमारे प्रैक्टिकल साधना में कमी के लक्षण हैं। हर एक महीने में दस मिनट निकालकर अध्ययन करना चाहिए कि क्या हम आगे बढ़ रहे हैं। अगर नहीं बढ़े तो फील करके संकल्प करना कि अब की बार ऐसे नहीं होने देंगे। यह निश्चय कर लो कि "(किसी के बात पर) फीलिंग नहीं होने देंगे। क्रोध पर क्रोध करेंगे। किसी को दुखी नहीं करेंगे।"
सब तरह की भगवत्कृपा को रियलाइज़ करके अभ्यास करो।
इस विषय से संबंधित जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की अनुशंसित पुस्तकें:
Atma Nirikshan - Hindi
Atma Nirikshan - Hindi Ebook
भगवान् सबके हृदय में रहते हैं - इसका अभ्यास करो
उपदेश तो हम बहुत सुने और जानते भी हैं, लेकिन प्रैक्टिकल में अमल लाने के लिए अभ्यास करना आवश्यक है। सम्मलेन (साधना शिविर) इसलिये होता है कि जो कुछ हमें इसमें मिला, उसको आगे बढ़ाना है। अगर हम हमेशा वहीं के वहीं रह गए, तो ऐसे तो ये मानव देह समाप्त हो जायेगा।
ये हमारा निवेदन है कि आप लोग एक छोटा सा आदेश मानकर रोज़ अभ्यास करें -
सब तरह की भगवत्कृपा को रियलाइज़ करके अभ्यास करो।
इस विषय से संबंधित जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की अनुशंसित पुस्तकें:
Atma Nirikshan - Hindi
Atma Nirikshan - Hindi Ebook
Read Next
Daily Devotion - June 26, 2025 (Hindi)- अपने में झाँको
परदोष और निज गुण - दूसरे में दोष और अपने में गुण - इन दो चीज़ों का चिंतन न करो। दूसरे में दोष देखने से 2 हानि होगी - 1. वह दोष मन में आएगा और,
Daily Devotion - June 24, 2025 (English)- Gateway to Hell
God told Arjun - trividhaṃ narakasyedaṃ dvāraṃ nāśanamātmanaḥ। kāmaḥ krodhastathā lobhastasmādetattrayaṃ tyajet। There are three most important gateways to hell - they cause one's total ruin. They are desire, anger, and greed. These are three mighty enemies. Therefore, you must let go of them. Arjun said, "O
Daily Devotion - June 22, 2025 (Hindi)- तत्व ज्ञान परमावश्यक है
भावुक लोगों की बुद्धि में मिथ्या-अहंकार है कि हम सब समझते हैं। हमें लेक्चर में इंटरेस्ट नहीं है। हम तो साधना में लगे हैं। साधना में लगना ठीक है - लेकि
Daily Devotion - June 16, 2025 (English)- Who Controls Destiny?
Question by a sadhak - Can prārabdh (destiny) be altered? Shri Maharaj Ji's answer - Saints and God are capable of doing anything (kartumakartumanyathākartuṃ samartha) - they can act as they wish, refrain from acting, or act contrary to expectation - Rāma bhagata kā kari na sakāhiṃ However,