Daily Devotion -May 3, 2025 (Hindi)
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Daily Devotion -May 3, 2025 (Hindi)

जानूँ जब तब मानूँ तब हौं प्रेम तोसों राधे - 'जाने बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती॥' जब हम किसी चीज़ का मूल्य जान ले

जानूँ जब तब मानूँ तब हौं प्रेम तोसों राधे -
'जाने बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती॥'


जब हम किसी चीज़ का मूल्य जान लेते हैं, तब विश्वास होता है। और जब विश्वास होता है तब प्रेम अपने आप हो जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी को पारस मिल जाए और उसने जान लिया कि ये पारस है, फिर उसको हर जगह लेकर लोहे से छुआता रहेगा। जाना, माना, बस प्यार हो गया। तो श्री महाराज जी साधक की ओर से किशोरी जी से कह रहे हैं कि तुमको हम जानेंगे नहीं - तुम तो बुद्धि से परे हो क्योंकि मेरी बुद्धि मायिक है, और तुम दिव्य हो। तो जब तक हम तुमको जानेंगे नहीं तो तुमको मानेंगे कैसे, और तुमको मानेंगे नहीं तो प्यार कैसे होगा? तो पहले तुम हमको जना दो, तब हम मानें, तब प्यार हो जाए अपने आप। तो पहला काम तुम्हारा है।

सारे भारतवर्ष में, जहाँ राधाकृष्ण का अवतार होता है, 90% लोग जानते ही नहीं कि राधा हैं कौन। श्री कृष्ण के बारे में तो लोग थोड़ा बहुत जानते हैं, लेकिन किशोरी जी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। और जो जानते हैं, वो भी गलत जानते हैं। वो समझते हैं कि जैसे संसार में स्त्री-पति होते हैं, ऐसे ही राधारानी श्री कृष्ण की पत्नी हैं। बस इतना ज्ञान है लोगों को। क्योंकि उनको बताने वाले कोई नहीं हैं। अगर श्री महाराज जी ने हमें समझाया नहीं होता तो हम लोग भी ये बात नहीं जानते। आमतौर पर लोग संसार में लक्ष्मी नारायण को इष्टदेव मानते हैं, ये सोचकर कि उनकी कृपा से संसारी संपत्ति मिलेगी। जब हमें संत जना देते हैं कि राधारानी कौन हैं, तब हमें विश्वास होता है और प्रेम होता है। अगर हमें असली संत नहीं मिलते, हम नहीं जान सकते, तो फिर हम नहीं मान सकते, तो फिर हम प्रेम भी नहीं कर सकते।

इस विषय से संबंधित जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की अनुशंसित पुस्तकें:

Bar Bar Padho Suno Samjho - Hindi

Hari Guru Smaran - Dainik Chintan - Hindi

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